नींद को हराना सिखों।
Life में बढ़ा उसी दिन करो गए। जिस दिन नींद को छोड़ो गए। नींद इंसान को बर्बाद कर देती हैं। सफर हमने दूर का सोचा है, तो क्यों इन उसूलों को तोड़े, ठान लिए है हर मंजिल को पाना तो मैदान क्यों छोड़े...!!
दोस्तों " आज में आपको life का वो part बताता हूं जो आपको हमेशा पीछे खींचता है कभी आगे बढ़ने नही देता हर वक्त इंसान को कमजोर करता है बर्बाद करता है। वो part है खुद का आलस , खुद की नीद , कभी अपने लक्ष्य की और बढ़ने नही देती करिअर को छोड़ने के लिए मजबूर कर देती है इंसान को सब कुछ छीन लेती हैं। इसी लिए कहता हूं आज भी समय है छोड़ दो नींद को और उठो खड़े हो जिंदगी के साथ दौड़ना शुरू करो।
सोने से कुछ नहीं मिलता जिंदगी आगे बड़ती ही रहती हैं उसको कुछ फर्क नहीं पड़ता तुम चल रहे हो या रुके हुए हो उसको कुछ लेना देना नहीं है तुमसे जिंदगी तुम्हारी रिश्तेदार नही है जो तुमको उठाने आएगी। तुमको खुद ही उठना होगा उसके साथ चलना होगा हर मोड़ पर हर वक्त पर उसके साथ खड़ा होना होगा तभी जिंदगी तुमको कुछ अनमोल चीज देगी तभी जिंदगी में अपना नाम बड़ा होगा अपनी पहचान होगी।
अगर आज तुमने ठान लिया मेरे लिए मेरी नीद जरूरी है तो आने वाले समय में यही नीद रोना बन जाएगी इस बात का पश्चाताप होगा यही बात हर वक्त सताती रहेगी। मैने वो समय अपनी नींद के चक्कर में बर्बाद किया आज उसकी सजा मिल रही है आज हर वक्त हर दिन रोना पड़ रहा है काश मैंने वो समय अपनी नींद को छोड़कर अपने करिअर पर लगाया होता तो आज रोना नहीं पड़ता। समय जाने के बाद पश्चाताप करने से कुछ नहीं मिलता इसी लिए पहले ही सोच समझकर चलना ताकि बाद में रोना ना पड़े।
नींद के चक्कर में कही जिंदगी बर्बाद हो गई है कही लोगो रोए है नींद देती कुछ नहीं बल्कि छीन ती ज्यादा है सोने से क्या मिलता है सिर्फ 1- 2 घंटे की शांति उस शांति से क्या होता है जिंदगी पूरी होने जैसी लगती हैं नहीं ना तो जो चीज पता है जिसके बारे में मालूम है कि नीद इंसान को खत्म करती है जिसका ज्यादा फायदा लेने से हमारा कुछ फायदा नहीं है फिर भी लोग मौत की तरफ जाते हैं मौत को दावत देते है और बर्बाद हो जाते है। नींद के बारे में किसी भी किताब में यह नहीं लिखा की तुमको 7-8 घंटे की नींद चाहिए इंसान को 4घंटे की नींद भी बहूत होती है।
इसी लिए फिर से एक बात कहता हूं नींद को छोड़ दो आज भी समय है अपने आप को बदलने का , सो गए तो सारी जिंदगी रो गए। नींद को छोड़ दो नहीं तो दुनियां छोड़नी पड़ेगी।
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॥ सफलता ॥
My dear friend आज में आपको एसी यादगार कहानी सुनाता हूं कि आपको जिंदगी भर याद रहेगी और यह कहानी आपको बहुत कुछ सिखाकर चली जाएगी। तो इस कहानी को बिना आंख की पुतलियां झपकाकर ध्यान से सुना और ध्यान से समझना।
॥ राजा और नोकर ॥
एक गांव में भानु नाम का राजा रहता था भानु बड़ा ही दयालु था भानु बड़ा ही धनवान था भानु गांव के लोगो के लिए कुछ ना कुछ अच्छा करता था गांव के लोगो की बड़ी ही मदत करता। राजा दिल का अच्छा पैसे से अमीर और बहुत ही इज्ज़त वाला इंसान था पर राजा के पास सब कुछ होते हुए बिना अपने धन से प्रेम की वो सिर्फ और सिर्फ अपनी एकलोती बेटी से बहुत ही प्रेम करता था ।उस राजा के लिए अपनी बेटी से बडकर कुछ नहीं था अपनी बेटी के लिए कुछ भी करने के लिए तयार हो जाता।
एक दिन राजा की बेटी को महल में रहने वाले नोकर से प्रेम हो जाता है दोनों के प्रेम को कुछ दिन बीत जाते है। एक दिन राजा को पता चलता है की नोकर अपनी एकलोती बेटी से प्रेम करता है तब राजा उस नोकर को बुलाता है और नोकर के सामने एक शर्त रखता है , शर्त यह होती है की गांव में सायकल चलाने की प्रतियोगिता रखता है और उस नोकर को कहता है। तू अगर यह रेस जीत जाता है तभी मेरी बेटी से शादी कर सकता है और इन महल का होने वाला राजा बन सकता है नोकर रेस के लिए तयार होता है।
नोकर को सायकल चलाना नहीं आती राजा नोकर को सायकल चलाने के लिए सिर्फ और सिर्फ 1 सप्ताह देता है 1 सप्ताह के बाद प्रतियोगिता का आयोजन करते हैं। नोकर बिना वक्त को बर्बाद की उसी समय से सायकल चलाने के लिए शुरू हो जाता है नोकर को दिन क्या रात क्या उसका कुछ ध्यान नहीं होता वो सिर्फ अपने सायकल चलाने पे ध्यान देता है। सायकल चलाते चलाते गिर जाता चोट लगती खून बह जाता है फिर भी उठता है और फिर से चलाता है अपनी मेहनत में दिन और रात एक कर देता है।
एसे करते करते कुछ दिन बीत जाते हैं 1 सप्ताह खत्म हो जाता है और वो नोकर सायकल सिख जाता है और रेस के लिए तयार होता है। जब रेस शुरू हो जाती हैं तब नोकर के शरीर के लगे जख्म दर्द करने लगते पाव में झाले लगने की वजह से वो नोकर सायकल चला नही पता और रेस हार जाता हैं। नोकर निराश होकर एक कोने में बैठकर रोने लगता है तभी राजा नोकर के पास आता है और नोकर से कहता है तू हारा नही है बल्कि तू जीता है।
मैने सिर्फ एक छोटी सी प्रतियोगिता इसी लिए रखी थी की में देखना चाहता था कि तुम मेहनती हो या नहीं , में देखना चाहता था की तुम इस महल को इस गांव को इस लोगो को संभाल सकते हो या नहीं। मुझे अपने बेटी के लिए एक अच्छे , एक ईमानदार और मेहनती पति की जरूरत थी और मुझे एक होनहार राजा की जो तुम हो। राजा ने अपनी पूरी जायदात अपना पूरा धन उस भानु नोकर के नाम कर दिया और आज एक नोकर अपनी मेहनत की वजह से राजा बनकर जिंदगी जी रहा है।
इस कहानी से यह सिख मिलती है मेहनत करते रहो मेहनत कभी भी वेस्ट नही जाति अपनी मेहनत का हिसाब मुद्दल के साथ साथ ब्याज भी होगा.!
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