होशियारी क्यों जरूरी है।
Life में होशियार होना बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। हर वक्त पर हर मोड़ पर खुद की होशायरी साथ देती है मुश्किल से मुश्किल समस्या से बाहर निकाल सकती हैं। इसी लिए आज की दुनिया में हर इंसान होशियार होना चाहिए , होशियार बना चाहिए। इसी लिए आज से खुद को talented( होशियार) बनाओ।
दुनियां में इंसान की होशियारी उसे करिअर के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होती हैं होशियार इंसान कभी भी किसी के हात नहीं आता कभी भी किसी के पीछे नहीं भागता उल्टा लोगो को अपने पीछे नचाता है। होशियार इंसान बिना work किए पैसा कमा सकता है सिर्फ और सिर्फ अपने होशियारी से अपने बोली गई जबान से पैसा कमा सकता है। इसी लिए कहता हूं खुद को होशियार बनाओ ताकि तुम भी अपनी होशियारी का पैसा कमा सको , नही तो ऐसा ना हो की होशियार इंसान तुमसे आगे चले जाए और तुम पीछे रह जाओ ऐसा कभी मत होने देना।
दुनियां में जीना है तो होशियार बना पड़ेगा
आज आपको एक सच्ची घटना बताता हूं दो दोस्तों की जो अपनी होशियारी चलाकर अपनी मौत को भी चकमा दिया। गांव के दो दोस्त शाम - घनश्याम जो बचपन के साथी थे शाम , घनश्याम से होशियार था मगर दोनों की जोड़ी राम - लखन जैसी थी जहा भी जाना हो वहा दोनों साथ ही जाया करते थे। एक दिन दोनों लकड़ियां लाने के लिए जंगल की तरफ गए शाम - घनश्याम लकड़ियां तोड़ने लगे।
शाम और घनश्याम लकड़ियां तोड़ रहे थे तभी अचानक से घनश्याम के पैर पर कुलाढ़ी लगती है तभी शाम का ध्यान अस्वल पर जाता है घनश्याम को अस्वल के बारे में बताता है अस्वल दोनों के करीब आने लगती है शाम और घनश्याम को कुछ समझ नहीं आता है। भाग भी नहीं सकते क्यों कि घनश्याम को कुलाढी लगी थी पेड़ पर चढ़ भी नहीं सकते घनश्याम अस्वल देखकर डर जाता है अस्वल करीब आने लगती हैं वो कहते है ना जब मुसीबत आती हैं तब दोनों तरफ से आती हैं।
शाम अपनी होशियार था उसने अपनी होशियार से घनश्याम को कहा हम मरने का नाटक करते हैं थोड़ी देर के लिए अपनी श्वास को बंद कर देते हैं। शाम और घनश्याम ने मरने का नाटक किया जहा थे वहीं पढ़े रहे अस्वल शाम और घनश्याम के पास आई और उन दोनो को सूंगकर मरा हुआ समझ कर चली गई। उन दिनों की जान बच गई शाम ने अपने होशियारी चलाकर अपनी मौत को भी चकमा देकर उसे भगा दिया।
इसी लिए कहता हूं होशियार बनो अपनी होशियारी कभी भी और कही भी काम आ सकती है होशियारी इंसान का गुण ही नहीं बल्कि हर मुश्किल से मुश्किल वार को बचाने वाली ढाल होती हैं।
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॥ दृढ़ संकल्प की ताक़त ॥
(Ladies and gentlemen) आज में आपको powerful बने का , powerful रहने का मंत्र बताता हूं इस मंत्र को अपने दिल और दिमाग़ में फिट करना ताकी कभी भूल ना सको। वो मंत्र है संकल्प , लाईफ में किया हुआ हर छोटा से छोटा संकल्प आपको powerful बनाएगा जैसे कि खुद से कहो में आज समय बर्बाद नही करूंगा , मैं आज mobile नहीं देखूंगा , में आज fecebook नही देखूंगा , में आज से गलत काम करना छोड़ दूंगा। जैसे जैसे आप बुरी चीजों को कम करते जाओ गए बुरी चीजों को ignore करो गए वैसे वैसे आप मजबूत होते जाओ गए।
लाइफ में इच्छा शक्ति का (संकल्प) होना बहुत ही जरूरी है क्यों कि संकल्प आपको हर काम में मदत करेगा लोग कहेंगे ताना मरेंगे तुझ से नही होगा तू रहने दे तू छोटा सा ही काम कर बड़ा काम सिर्फ बड़े लोग करते हैं , ना जाने कितना भला बुरा कहेंगे। कहने दो जो कुछ कहते हैं कहने दो लोगो का काम है कहना और तुम्हारा काम ही करना लोगो को उनका काम करने दो और तुम अपना काम करो।
जब इंसान छोटी छोटी बात के लिए संकल्प लेता है तब इंसान का आवारा मन कमजोर होता है मन कहता है जिंदगी जीना है तो इसके हिसाब से चलना होगा जो यह कहेगा वो करना होगा तभी जिंदगी जीना आसान होगा। लाइफ में छोटे छोटे प्रयोग करो में आज watsapp नही देखूंगा में आज यह नहीं करूंगा वो करूंगा ऐसा करने से अंदर की इच्छा शक्ति जागृत होती हैं खुद को लगता है में आज यह छोड़ सकता हूं तो मैं कुछ भी कर सकता हूं। ऐसी ही छोटे छोटे प्रयोग करके आगे बढ़ो गए तो आने वाले 1महीने में खुद को बदल दो गए यह मेरा वादा है आप से।
खुद यह कहो मुझे इंजीनियर बना है, डॉक्टर बना है, शिक्षक बना है, पायलट बना है, पुलिस बना है ऐसा संकल्प लो गए ना तो कभी आपका मन दारू, सिगरेट, गांजा ऐसा कोई भी नशा हो आपका ध्यान कभी उसके तरफ जाएगा नही । क्यों की इतना बड़ा संकल्प लिया है हर हाल में उसे पूरा करना है जब मन अपने संकल्प को पूरा करने के लिए लगा हो तो कभी भी आपका मन बुरी दिशा में नही जाएगा।
दृढ़ संकल्प की शक्ति।
एक बच्चा 16 साल की उम्र का था उसका वजन (wait) 85 इतनी छोटी सी उम्र में इतना वजन शरीर के लिए हानिकारक होता है बीमारी होने की ज्यादा संभावना रहती हैं और जान भी जा सकती हैं। तो वो बच्चा 85 वजन (wait) का था उस बच्चे के करना मां-बाप परीक्षण रिश्तेदार परीक्षण लोग उस बच्चे को इधर उधर से ताना मारते थे कितना खाएगा, खाते खाते फट जाएगा , मोटा सांड कुछ भी कहते थे।
मां -बाप ने उस बच्चे को hospital मे दिखाया तरह - तरह के treatment किए फिर भी उस बच्चे का वजन कम नहीं हो रहा था मां -बाप इलाज करते करते थक गए मां - बाप ने उम्मीद छोड़ दी रोने लगे बच्चा भी रोने लगा। रोते रोते उस बच्चे का दिमाग शांत हो गया को कहते है ना दिमाग शांत होता है तो ना होने वाला काम भी हो जाता है जैसे ही बच्चे का दिमाग शांत हूं उसके दिमाग में दौड़ने का idea आया और खुद से कहने लगा कि दौड़ से वजन कम हो सकता है। तभी बच्चे ने दौड़ने का संकल्प लिया जब तक वजन कम नहीं होता तब तक दौड़ना है।
बच्चे ने अगले दिन से दौड़ना शुरू किया दुःख , दर्द , श्वास लेने में तकलीफ होती थी रूकने की कोशिश करता था पर उसको उसका सकल्प रूकने नही देता था बड़ बार उसको याद दिलाता था आज रुक गया तो मर जाएगा। वो मरने की डर से दौड़ता था उसको उसका संकल्प पूरा करना था दिन-रात जब दौड़ता था उसको अपने संकल्प के अलावा कुछ दिखाई नहीं दिया दौड़ता गया और आगे बढ़ता गए।
कुछ समय बीत गए , कुछ दिन बीत गए , कुछ साल बीत गए दौड़ता रहा दौड़ता रहा आखिर में जो काम घर के लोग नहीं कर सके डॉक्टर नहीं कर सके वो काम उसने खुद किया और उसके संकल्प ने किया 85वजन (wait) था तो उसने 45वजन किया और अपने जिंदगी को एक नई शुरवात की वो सिर्फ उसके एक संकल्प की वजह से उस बच्चे की पूरी की पूरी जिंदगी बदल गई। इसी लिए कहता हूं life में हर छोटा सा छोटा संकल्प आपकी जिंदगी बदल सकता है संकल्प में ऐसी ताकत है जो किसी को भी हरा सकती है।
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