दुनियां के 1% लोगो की सफलता।


 आज का दिन सफलता की ओर दौड़ का दिन है। इस दौड़ में आज हम इंसानों के विचारों पर चर्चा करेंगे, क्योंकि इंसान की असली पहचान उसके विचारों से ही होती है।

आज की दुनिया में सिर्फ 1% लोग ही सफल क्यों होते हैं? क्योंकि उस 1% में शामिल लोगों ने दिन-रात मेहनत की है। उन्होंने न तो काम करते समय घड़ी की ओर देखा, न चैन की नींद ली, न समय पर भोजन किया, और न ही समय पर विश्राम किया। इसी अनुशासन और समर्पण की वजह से वे आज सफल हैं।

यदि आप भी आज से खुद को उन 1% लोगों में शामिल करना चाहते हैं, तो आपको भी व्यर्थ के कार्यों को छोड़ना होगा, अपने समय का सदुपयोग करना होगा, अच्छे लोगों की संगति करनी होगी और किस्मत से ज्यादा अपनी मेहनत पर भरोसा करना होगा। तभी आप आने वाले समय में उस 1% की सूची में अपनी जगह बना पाएंगे।


दुनिया को दिखाने के लिए बड़ा नहीं बनना है, और न ही किसी के कहने पर छोटा बने रहना है। जो कुछ भी करना है, वो अपने लिए करना है—खुद को बदलने के लिए करना है।

कब तक 99% लोगों की भीड़ में रहोगे? बाहर निकलो, और 1% लोगों की श्रेणी में प्रवेश करो, ताकि लोग भी कहें—"कीचड़ में भी कमल खिलता है।" कब तक गरीबी में जीवन बिताना है? अब हमें भी समृद्ध बनना है। मुझे भी पैसा कमाना है, मुझे भी बड़ी-बड़ी गाड़ियों में घूमना है। जब मेरे ही उम्र के लोग सफल होकर आगे बढ़ रहे हैं, तो यह जलन नहीं, प्रेरणा बननी चाहिए। और इसी प्रेरणा से हमें खुद को ऊँचा उठाना है—सिर्फ और सिर्फ खुद के लिए।


आज से, खुद को महान और बेहतर बनाने के लिए सिर्फ 2 घंटे रोज़ निकालो। बाकी के 22 घंटे आप जैसा चाहो वैसा कर सकते हो। पर इन 2 घंटों में कोई व्यवधान नहीं होना चाहिए—ना खाना, ना पीना, ना रिश्तेदार, ना दोस्त—बस खुद और अपने लक्ष्य पर पूरा ध्यान।


यह अनुशासन केवल 6 महीने निभाना है। लोग आपको पागल समझें, तो समझने दो, लेकिन आप अपने लक्ष्य से ध्यान मत हटाना। 6 महीने बाद आप एक ऐसे बारूद बन जाओगे, जो किसी भी बाधा को ध्वस्त कर सकता है।

सफलता का मूलमंत्र यही है—जब तक अपना काम पूरा न हो, तब तक इधर-उधर मत देखो। आज हमारे लिए भूख भी काम है, और प्यास भी काम है। जब लक्ष्य बड़ा हो, तो काम किसी भी कीमत पर पूरा करना ही पड़ता है।


ऐसी सोच ही इंसान को सफल बनाती है। और मैं तो खुद इसी सोच पर चलता हूँ—अगर पिएंगे तो पूरा समुंदर पिएंगे, नहीं तो कुछ भी नहीं। समय चाहे जितना भी लगे, लक्ष्य पूरा करना है।

तुम भी यही रास्ता अपनाओ—सामने लक्ष्य रखो और उसी पर चलो। तुम न केवल सफल बनोगे, बल्कि और भी बेहतर बनोगे।


एक सच्ची मगर कड़वी बात कहता हूँ—"छोटा मुँह, बड़ी बात"—लोग चाहे जितना भी उछल लें, बिना मेहनत के वे कभी सच्चे मायनों में सफल नहीं बन सकते। क्योंकि जब तक तवा गर्म न हो, रोटी नहीं पकती। ठीक वैसे ही, जब तक जीवन में संघर्ष और चोटें न आएँ, तब तक सफलता का स्वाद नहीं चख सकते।

दीया भी तब तक जलता है, जब तक उसमें तेल होता है।

आज खुद को दीया समझो और अपनी मेहनत को उसका तेल।

जब तक मेहनत करते रहोगे, तब तक तुम्हारा उजाला कभी बुझ नहीं पाएगा।

                                          धन्यवाद! 

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