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खुद की क़ीमत क्या है जान लो।

( Life में सबसे ज्यादा अपने आप की क़ीमत बढ़ना ) 

           ( My dear friend ) लाईफ में एक काम जरूर करना अपने आप को किसी से कम मत समझना और अपने आप को कभी हल्के में मत लेना। क्यों की तुम अपने आप को कमज़ोर समझो गए अपने आप को हल्के में लो गए तो दुनिया आपको कमजोर ही समझेगी कमजोर ही बुलाएगी। इसी लिए अपने आप को कभी कमजोर मत बनाना और कभी कमजोर मत रहना दुनिया कमजोरो को गुलाम समझती है। इसी लिए अपने आप की क़ीमत बढ़ाओ समय कित्ता भी लगे अपने आप को बनाने के लिए पर बना है सबसे अलग और सबसे बेहतर ही।

खुद की क़ीमत बढ़ाने के लिए दिन - रात मेहनत करनी पड़ती है अपने काम को लेकर पागल होना पड़ता है , भूख तान एक करनी पड़ती है , अपने काम की क़ीमत और पानी क़ीमत बढ़ाने के लिए बिना थके बिना रुके काम करना पड़ता है , रात के 2 बजे तक काम करना पड़ता है तब जाकर काम की और अपनी क़ीमत बढ़ती है। ऐसी ही अपने आप की क़ीमत नही बढ़ती आज काम किया कल छुट्टी ले ली , 20 का तरबूज़ लाया और 40 रुपए में बेज दिया तो अपने आप की क़ीमत बढ़ गई ऐसा मत समझना। 

क़ीमत बढ़ना बाजारों में चलता है यह जिंदगी है यह क़ीमत बढ़ाने के लिए खून का पसीना करना पड़ता बिना खाए पिए भूखा सोना पड़ता है। जो लोग अपनी कीमती बढ़ाने के लिए भूखा नहीं रह सकते , अपने काम को लेकर रात - रात भर जाग नही सकते सिर्फ और सिर्फ अपने बिस्तर पर पड़े होते हैं वो लोग कभी सपने में भी अपने आप की क़ीमत नही बढ़ा सकते। 

***  कहानी  ***

              .....आज आपको छोटी सी कहानी सुनाता हु बहुत ही powerful है और emotional भी तो इस कहानी का एक -एक words ध्यान से सुना और समझाना यह कहानी है एक सोनार की जो सोने का धंधा करता था और सोने के साथ -साथ समय मिला तो कुछ लोहे की चीज़े बनकर बेचता था। रोज दुकान आता था रोज लोहे को पीटता था सोने के भी ग्राहक करता था और लोहे के भी ग्राहक करता था। लोहा और सोना बेच कर धंधा बहुत ही चलने लगा लोग आने लगे खरीदने लगे।

एक दिन लोहार एसे ही लोहे को पीट रहा था तब लोहा सोनार से कहने लगा हर रोज़ मुझे ही क्यों पीटा जाता है आग की भट्टी में मुझे ही क्यों डाला जाता है। सोने को क्यों नहीं आग में नही डालते क्यों उसको नही पीटा जाता ऐसा बोल के जोर जोर से चीखने लगा। तभी सोनार कहता है लोहे से इस बात को ध्यान से सुना बहुत ही कम की बात है कहता है यह सोना है बड़ी बड़ी कोयलो की खानों मिलता है इस की कीमत करोडो में है इसे लोग पहनते हैं। इस सोने के आगे तुम्हारी कोई कीमत नहीं है इसी लिए सोने को बिना मांगे दर्जा मिलता है।

तब लोहे को एक बात समझ में आती है दुनिया में छोटे की कोई कीमत नहीं होती छोटा रहना कितना गुना वाला काम है और निराश होकर कहता है। अगले जन्म में कितना भी जलना पड़े कितने भी दर्द उठाने पड़े पर बनूंगा तो सोना ही। इसी लिए कहता हूं अपने आप की क़ीमत बढ़ाओ नही तो तुम्हारा भी हाल में जले लोहे की तरह होगा। इसी लिए आज ही सोच लो अभी समय है अपने आप को हीरा बनाने का...! 

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॥ पागल इंसान का जज्बा ॥



 ( एक पागल इंसान ने इतिहास रचा दिया। और दिखा दिया लोगो को हर कोई पागल नहीं होता )

( Ladies and gentleman ) में आज आपको ऐसी कहानी सुनाता हूं जिसे सुनकर आपके रोंगटे खड़े हो जाएं गए इस कहानी को सुनकर आप पावरफुल बन जाओ गए। यह कहानी आपको जिंदगी हर मोड़ पर हर वक्त पर रास्ता दिखाएगी और मज़बूत करेगी कभी आपको टूटने नही देगी हर वक्त आपको जिंदा रखेगी। इतना power है इस कहानी में तो इस कहानी को ध्यान से सुना और कहानी का एक - एक words ध्यान से समझना क्यों की इस कहानी के एक - एक शब्द में कामयाबी है यह कहानी आपकी जिंदगी बदल देगी।

यह कहानी है छोटे से गांव की जो बरसों पुराना गांव नदी के पास बसा हुआ उस गांव में ऋग्वेद नाम का एक पागल रहता था वो पागल गांव में या वह भटकता था इधर उधर जाकर खाता किसी को मानकर खाता था। ऋग्वेद बहुत ही समझ दार बहुत ही होनहार था ऋग्वेद के पास इतनी तेज़ बुद्धि थी की गांव में किसी भी इंसान के पास उतनी बुद्धि नही थी। गांव में कुछ भी हो गया तो गांव के लोग उस पागल के पास जाया करते थे अपनी समस्या का हल निकालने और वो पागल गांव की हर समस्या दूर करता था। फिर भी गांव के लोग उसकी बुद्धि को मानते नही थे।

बदल दो अपने आप को 

ऋग्वेद एक ही बात से पागल था कि जितनी भी गांव में पेड़ की लकड़ियां गिर जाया करती थी वो उठाता था रोज के रोज लकड़ियां जमा करता था लकड़ियों के लिए गांव का पूरा चक्कर लगाता था। गांव के लोग ऋग्वेद पर हस्ते थे , चिल्लाते थे , उसको मारते थे , परीक्षण करते थे , गांव के लोग पागल पागल कह कर उसको सताते रहते थे  फिर भी ऋग्वेद लोगो की और ध्यान नहीं देता था और अपनी लकड़ियां उठता था। एसे करते करते कुछ बरसों बीत गए ऋग्वेद ने बहुत सी लकड़ियां इखटा की और उस जमा की लकड़ियों से पागल  50 ते 60 नाव तयार करता है।

एक दिन इतनी बारिश इतना तूफ़ान आता है गांव को पूरा तहस नहस करता है घरों को तोड़ देता है पेड़ पौधों को गिरा देता है नदी का पानी पूरे गांव में चला जाता है गांव डूबने लगता है। तभी पागल अपनी बनाएं हुई नाव में लोगो बिठाकर लोगो को दूसरे जगह ले जाता है और सबकी जान बचा लेता है। गांव के लोग पागल को पूछते हैं तुमने कैसे किया इतनी सारी नाव अकेले कैसे बना ली तो वो पागल कहता है जब तुम मुझे गालियां देते थे तुम्हारा काम था मेरे उप्पर हंसना , मुझे मारना , तुमने तुम्हारा काम किया और मैने मेरा काम किया।

आज अगर तुम्हारे हसने से या तुम्हारे कुछ बोलने से मैने अपना काम नही किया होता तो आज सब की मौत होती। इसी लिए कहता हूं जिंदगी में कितनी भी रूकावटे आए कितना भी लोग पीछे खींचने की कोशिश करे पर तुम कभी मत रुकना। अपना काम करते रहना जब तक सफलता नहीं मिल जाती तब तक आगे बढ़ते ही रहना। आज एक पागल हम को सिखाकर चला गया है।

यह दुनिया , यह लोग कहते हैं ना हमेशा की इतिहास पागल लोगो ने ही बदला है तो यह सच बात है...!!

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