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एकाग्रता" ही सफलता का सबसे बड़ा सूत्र है।

 दुनिया में दो तरह के लोग होते हैं एक वो, जो अपनी सोच को हवा में उड़ाते रहते हैं, और दूसरे वो, जो अपनी सोच को एक दिशा में, एक लक्ष्य पर, एक बिंदु पर जमाकर रखते हैं। फर्क सिर्फ इतना होता है कि पहला वर्ग सपने देखता है और दूसरा वर्ग सपनों को सच कर देता है। और इस फर्क की एक ही जड़ है एकाग्रता!

हा वही एकाग्रता जिसे हम साधारण समझते हैं, पर वास्तव में उसी के पास सफलता की चाबी है।अगर एकाग्रता है तो रास्ते खुद खुलते जाते हैं।अगर एकाग्रता है तो असंभव चीज़ भी संभव बन जाती है।अगर एकाग्रता है तो दुनिया भले हज़ार बार गिराए, आप बार-बार खड़े होंगे।

लेकिन आज सबसे बड़ा संकट क्या है। लोगों के पास लक्ष्य हैं पर ध्यान नहीं।मेहनत है पर केंद्रित मेहनत नहीं।जोश है पर दिशा नहीं।और बिना एकाग्रता के, दिशा मिल ही नहीं सकती।


|एक कहानी सुनिए जो आपकी नींद हिला देगी|

एक विद्यार्थि था। बहुत तेज़ दिमाग़, बहुत सपने, बहुत लक्ष्य पर एक समस्या ध्यान कहीं टिकता ही नहीं था। आज किताब, कल मोबाइल, परसों सोशल मीडिया उसके दिमाग़ में सौ रोड खुली थीं, पर कोई रास्ता पूरा नहीं चल पाता था। नतीजा? थकान, निराशा, और मन में भारीपन।

एक दिन वह एक साधु के पास गया और बोला, गुरुजी, मैं सब करना चाहता हू पर एकाग्र नहीं हो पाता। साधु मुस्कुराए, उन्होंने एक कटोरे में पानी भरा और उसे दिया। बोले, इस पानी को लेकर पहाड़ की चोटी तक जाओ, और एक बूंद भी गिरनी नहीं चाहिए। अगर गिर गई वापस आकर शुरुआत करनी होगी।

लड़का चल पड़ा। रास्ता कठिन, पथरीला, हवा तेज़ लेकिन उसके पास एक ही लक्ष्य था पानी गिरना नहीं चाहिए। वह इतने फोकस के साथ चला कि न किसी ने उसका नाम लिया तो उसने सुना, न किसी पेड़ की छाया देखी, न किसी आवाज़ पर ध्यान दिया। चोटी पर पहुचकर वह खुशी से दौड़ा और बोला, गुरुजी! पानी की एक बूंद भी नहीं गिरी!

साधु ने पूछा, रास्ते में कोई सुंदर दृश्य देखा? लड़का बोला, “नहीं।”“किसी का संगीत सुना?”“नहीं।”“कहीं किसी ने बुलाया?”“हां, लेकिन मैंने सुना ही नहीं साधु मुस्कुराए, “बेटा, यही एकाग्रता है। जब लक्ष्य आंखों में भर जाए, तो दुनिया के शोर अपने आप गायब हो जाते हैं।

सच्चाई साफ है समस्या एकाग्रता की कमी है, मेहनत की नहीं हर इंसान मेहनत करता है। पर किस दिशा में कितनी गहराई से कितने समय तक?


|ये तीन बातें आपकी ज़िंदगी तय करती हैं|

मछली की तरह एक जगह न टिकने वाला दिमाग़ कभी नहीं जीत सकता। लेकिन वही दिमाग़ अगर एक बिंदु पर टिक जाए तो वह दिमाग़ पत्थर भी काट सकता है, सफलता भी गढ़ सकता है और किस्मत भी बदल सकता है।

*एकाग्रता आसान नहीं पर असंभव भी नहीं।

आप सोचेंगे!"

ध्यान इतना भटकता क्यों है, छोटी-छोटी बातों से क्यों टूट जाता है,लक्ष्य याद होते हुए भी फ़ोकस क्यों नहीं बनता क्योंकि दिमाग़ को कभी साधा ही नहीं गया। जैसे बिना ट्रेनिंग के शरीर कमजोर रहता है,वैसे बिना ट्रेनिंग के ध्यान बिखरता है।

अगर जिंदगी बदलनी है तो दिमाग़ को ट्रेन करना पड़ेगा।

अपने विचारों को बांधना पड़ेगा। और अपने लक्ष्य को इतना मजबूत बनाना पड़ेगा कि आपका दिमाग़ उसी की तरफ खिंच जाए।

*अब सवाल कैसे बने एकाग्रता।

नीचे पाच नियम हैं ये सिर्फ नियम नहीं, बल्कि ऐसी आग हैं जो सुस्त दिमाग़ को तेज़ तलवार में बदल देते हैं।


1. लक्ष्य ऐसा चुनो जो आपकी आत्मा को आग लगा दे।

एकाग्रता तब जन्म लेती है जब लक्ष्य सिर्फ दिमाग़ में नहीं दिल में उतरता है।लोगों की गलती है वे अपना लक्ष्य खुद नहीं चुनते, बल्कि दुनिया से उधार लेते हैं।

दुनिया कहे “इंजीनियर बनो” लोग बनना चाहते हैं, दुनिया कहे “सरकारी नौकरी लो”  लोग उसी में लग जाते हैं,दुनिया कहे “बड़ा बनो” बस बड़ा बनने लगते हैं। पर यह लक्ष्य उनके अपने नहीं होते, इसलिए एकाग्रता टिकती नहीं।

दोस्त,

लक्ष्य वही चुनो जो आपकी नींद छीन ले जो दिल में चिंगारी लगा दे जो आपको रुकने न दे। जिस दिन आपका लक्ष्य ज़रूरत नहीं, जलती हुई चाहत बन जाएगा,उसी दिन एकाग्रता पैदा हो जाएगी।


2. अपने दिमाग़ को हर दिन अनुशासन खिलाओ।

दिमाग़ बच्चे जैसा है जो चीज़ उसे आसान लगे, वही करता है। मोबाइल आसान - वहीं जाता हैरील्स आसान - वहीं जाता है, मन भटकाना आसान - वहीं जाता है, किताब खोलना मुश्किल - वहीं से भागता है।

लेकिन अगर आप 30 दिन तक रोज दिमाग़ को एक ही समय पर एक ही काम कराओ तो दिमाग़ उसी दिशा में चलना शुरू कर देगा। इसे कहते हैं न्यूरॉन पैटर्न बनाना।

और यही पैटर्न आपकी एकाग्रता की नींव है।


3. एकाग्रता का असली मंत्र 'एक समय' एक काम।

आज की दुनिया में सबसे बड़ा धोखा है मल्टीटास्किंग यह दिखती स्मार्ट है, पर अंदर से बर्बादी है।आप एक साथ तीन काम करते हैं,पर तीनों में आधा-आधा दिमाग़ लगता है,और नतीजा चिंता, थकान, और अधूरी मेहनत।

महान वैज्ञानिक आइंस्टीन हों या बॉस, साधु हों या योगी हर सफल इंसान एक बात कहता है। एक समय में एक ही काम करो पर पूरा ध्यान लगाकर।

यही एकाग्रता है। यही सफलता का तीर्थ है।


4. हर दिन 20 मिनट अपने दिमाग़ को शांत होने दो।

ध्यान का मतलब आखें बंद करना नहीं! ध्यान का मतलब है अपने दिमाग़ को स्थिर करना। जब दिमाग़ शांत होता है,तो एकाग्रता चमकती है, विचार व्यवस्थित होते हैं,और दिमाग़ "रजोर" की तरह तेज़ हो जाता है। दिन के सिर्फ 20 मिनट आपकी पूरी जिंदगी बदल सकते हैं।


5. खुद से युद्ध करना सीखो यही एकाग्रता की असली परीक्षा है।

एकाग्रता कभी बाहर टूटती नहीं यह अंदर टूटती है।

आपके भीतर दो आवाजें होती हैं एक कहती है “चल उठ, कर ले। दूसरी कहती है यार, बाद में कर लेंगे।आप जो भी आवाज़ जीतने देते हो वैसा बन जाते हो।

जीतना है!तो आलस को हराओ,डर को ही हराओ,संदेह को हराओ,भटकाव को हराओ, मोबाइल को हराओ। एकाग्रता वहीं पैदा होती है जहा इंसान अपनी कमजोरियों से लड़ना शुरू करता है। अब असली बिंदु एकाग्रता में इतनी ताकत क्यों होती है!

क्योंकि!

दुनिया में ऊर्जा वही तेज़ी से बढती है जो एक दिशा में बहती है। धूप को काँच में एक बिंदु पर केंद्रित करो पेपर जल जाता है। पानी बहता है  धारा बनता है। धारा तेज़ होती है नदी बनती है। नदी और तेज़ हो चट्टान काट देती है।

जब प्रकृति की ताकतें एक दिशा में लगें तो चमत्कार होता है। जब इंसान की ताकतें एक दिशा में लगें तो इतिहास लिखा जाता है। अगर एकाग्रता आ जाए तो आपकी समस्या खुद खत्म हो जाएगी। ज्यादातर समस्याए इसलिए नहीं रहती कि वे कठिन है।बल्कि इसलिए रहती हैं क्योंकि आप बिखरे हुए हैं।

जब मन साफ़ हो जाता है,जब लक्ष्य सामने दिखने लगता है,

जब दिमाग़ स्थिर हो जाता है,जब काम में डूब जाते हो तो समस्याए डरती हैं, आप नहीं। एकाग्रता वह तलवार है जो उलझनों को चीर देती है। जो डर को काट देती है। जो आपकी जिंदगी को दिशा दे देती है।


अंत में...! ☑️🙏

'एकाग्रता साधो, दुनिया झुक जाएगी'

दोस्तों,

एकाग्रता कोई जादू नहीं,यह एक साधना है। यह रोज़ के संघर्ष से पैदा होती है। यह रोज़ की जीत से मजबूत होती है।

सफलता उन्हें मिलती है जो अपने दिमाग़ को आदेश देते हैं, न कि दिमाग़ के आदेश पर चलते हैं।आज फैसला करो अब सिर्फ एक ही लक्ष्य एक ही दिशा एक ही फोकस और पूरा दम!

क्योंकि!

 एकाग्रता सिर्फ कौशल नहीं एक हथियार है।और जिसके पास यह हथियार है उसे दुनिया की कोई ताकत रोक नहीं सकती।

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