कभी सोचा है, हम इतनी जल्दी में क्यों हैं? सुबह से रात तक बस भागते रहते हैं किसी से आगे निकलने के लिए, किसी जैसा बनने के लिए, किसी को दिखाने के लिए कि हम भी कुछ हैं। लेकिन सच्चाई ये है कि हम अपनी नहीं, दुनिया की दौड़ दौड़ रहे हैं। और जब इंसान अपनी नहीं, दूसरों की राह पर भागता है।तो मंज़िल चाहे मिल भी जाए, सुकून खो देता है।
आज की यह बात तुम्हारे भीतर वो चिंगारी जगाने के लिए है जो तुम्हें याद दिलाए |खुद की दौड़ दौड़ो, दुनिया की नहीं|
☑️1. हर किसी की मंज़िल अलग होती है:-
ज़िंदगी कोई रेस नहीं है जहाँ सबको एक ही ट्रैक पर दौड़ना है। कोई पहाड़ चढ़ना चाहता है, कोई समंदर पार करना चाहता है। कोई शांति ढूंढ रहा है, तो कोई शोहरत।फिर क्यों हम सब एक ही राह पकड़कर भाग रहे हैं?
अगर किसी का सपना डॉक्टर बनना है और किसी का कलाकार बनना तो दोनों की स्पीड, रास्ता और मंज़िल अलग-अलग होंगे। लेकिन हम क्या करते हैं? दूसरों को देखकर अपनी रफ़्तार तय करते हैं।कभी सोचा है, जब ट्रेन अलग-अलग डेस्टिनेशन की होती है, तो सबकी स्पीड एक जैसी कैसे हो सकती है?
इसलिए याद रखो:-
तुम्हारा रास्ता तुम्हारा है, किसी और के नक्शे से नहीं मिलेगा।
🙅 2. तुलना सबसे बड़ा ज़हर है:-
आज की दुनिया में सबसे बड़ी बीमारी है "तुलना "
सोशल मीडिया खोलो, तो कोई अपनी नई गाड़ी दिखा रहा है, कोई ट्रिप, कोई शादी, कोई बिज़नेस सक्सेस।
और हम। अपने दिल में सोचते हैं मैं क्यों पीछे रह गया।लेकिन भाई, ये तस्वीरें सच्चाई नहीं, हाइलाइट्स हैं।किसी की मुस्कान के पीछे कितना संघर्ष है, वो तुम्हें दिखेगा नहीं।तुम्हें सिर्फ रिज़ल्ट दिखेगा, मेहनत नहीं।
याद रखो ...!
जब तुम किसी और से अपनी तुलना करते हो, तुम अपनी कीमत घटाते हो। तुम्हारी कहानी अलग है, तुम्हारे ज़ख्म, तुम्हारी मेहनत, तुम्हारी सोच सब अलग हैं।तो फिर दूसरों की लाइफ देखकर खुद को छोटा क्यों समझते हो।
🚴 3. खुद की रेस में जीतना असली जीत है:-
एक बार एक विद्यार्थी ने अपने गुरु से पूछा
गुरुदेव, मैं सबसे तेज़ कैसे दौड़ सकता हूं? गुरु मुस्कुराए और बोले तू किसी से नहीं, खुद से दौड़। हर दिन खुद को कल से बेहतर बना।
बस यही ज़िंदगी का असली मंत्र है।हर दिन थोड़ा आगे बढ़ो कल से बेहतर सोचो, बेहतर मेहनत करो, बेहतर बनो। क्योंकि! दूसरों से मुकाबला करने पर या तो अहंकार बढ़ेगा, या निराशा।लेकिन खुद से मुकाबला करने पर विकास होगा।जब तक तुम खुद को हर दिन थोड़ा बेहतर नहीं बनाते, तब तक तुम सच में नहीं जी रहे।
📝 4. दौड़ का मतलब सिर्फ जीतना नहीं, सीखना है:-
कभी-कभी हमें लगता है कि अगर हम दूसरों से पीछे रह गए, तो हार गए। लेकिन क्या सच में हार गए। नहीं! क्योंकि जो इंसान सीखता रहता है, वो कभी हारता नहीं।वो हर ठोकर को सबक में बदल देता है।
जीत का मज़ा तभी है जब तुम अपनी लड़ाई जीतते हो अपने डर से, अपनी कमजोरी से, अपनी आलस से।क्योंकि असली रेस भीतर की रेस है।बाहर की रेस तुम्हें थकाती है,लकिन अंदर की रेस तुम्हें बनाती है।
🧘5. दुनिया की दौड़ में मत खो जाना:-
आज हम इतने बिज़ी हैं कि खुद से मिलना भूल गए हैं।सुबह आँख खुलते ही मोबाइल, रात को सोने से पहले नोटिफिकेशन। हम हर जगह भाग रहे हैं लेकिन मंज़िल कहाँ है, ये खुद नहीं जानते।
दुनिया की दौड़ में तुम दूसरों की उम्मीदों का बोझ ढो रहे हो माँ-बाप को खुश करने की, समाज को दिखाने की, दोस्तों से पीछे न रहने की। पर क्या तुमने खुद से पूछा है क्या मैं वो कर रहा हूँ जो मुझे सच में पसंद है?
ज़िंदगी एक बार मिलती है, और वो भी बहुत तेज़ी से बीत जाती है। अगर तुम हर पल किसी और जैसा बनने में लगा रहोगे, तो एक दिन खुद से पूछोगे
'मैं कौन था? और उस सवाल का कोई जवाब नहीं मिलेगा।
🤼6. खुद की पहचान बनाओ:-
सफल वही नहीं जो सबसे आगे निकले, सफल वो है जो अपनी पहचान से निकले।
एक पेड़ है जो फल देता है, और दूसरा जो छाया देता है।क्या दोनों में से कोई बड़ा या छोटा है? नहीं। दोनों अपनी जगह पर जरूरी हैं। बस ऐसे ही, तुम्हें दूसरों जैसा नहीं बनना, तुम्हें अपना काम ईमानदारी से करना है। जब तुम अपने काम में आत्मा डालते हो, तब दुनिया खुद तुम्हें पहचानने लगती है।
🤹 7. खुद पर भरोसा रखो:-
कभी किसी ने कहा था।
अगर तुम्हें खुद पर यकीन है, तो रास्ते खुद झुक जाते हैं।यकीन वो ताकत है जो तुम्हें हर गिरावट के बाद उठने की हिम्मत देती है। जब सब लोग कहते हैं तू नहीं कर पाएगा तब तुम्हारे भीतर की आवाज़ कहे मैं ज़रूर करूँगा। क्योंकि ज़िंदगी का सबसे खूबसूरत पल वही होता है जब तुम खुद की मेहनत से खुद को साबित करते हो।
🔥निष्कर्ष:-
अपनी ताकत खुद बनो!तो याद रखो दोस्त, दुनिया की दौड़ दौड़कर थक जाओगे, पर अपनी दौड़ दौड़कर चमक जाओगे। दुनिया की नज़रें बदलती रहती हैं, लेकिन खुद की नज़र जब साफ़ हो जाए,
तो मंज़िल खुद चलकर तुम्हारे पास आती है।
हर सुबह अपने आप से कहो।मैं अपनी रेस दौड़ूँगा। मैं अपनी मंज़िल खुद तय करूँगा। मैं अपनी जीत खुद बनाऊंगा। क्योंकि जो इंसान खुद की दौड़ दौड़ता है,वो देर से सही, पर सही मंज़िल पर पहुँचता है।
👇अंतिम बात:- [ ध्यान रखें ]
अगर आज तुम ठहरे हुए हो, रुके हुए हो, या थके हुए हो तो बस इतना याद रखो तुम पीछे नहीं हो, तुम बस अपनी रेस में सही समय का इंतज़ार कर रहे हो।
दुनियां का पता नहीं मुझे, और दुनिया की भीड़ में खो जाने से बेहतर है। कि अकेले चलो, पर अपने रास्ते पर चलो।खुद की दौड़ दौड़ो,क्योंकि असली मज़ा तब है जब मंज़िल तुम्हारी हो, रास्ता तुम्हारा हो,और जीत सिर्फ ख़ुद हो। "इतना सब कुछ ध्यान में रखते हुए आगे बढ़ना है।"
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