आलस छोड़ दो।
जब इंसान को आलस आता है तो वो खुद से यही कहता है हमारे पास बहुत समय है लोग आगे बढ़ रहे है तो उने जाने दो हम बाद में शुरू करेंगे आज सोलेते है आज का काम कल भी कर सकते है। एक दिन काम नहीं करेंगे तो लोग थोड़ी हमारे आगे जाएंगे अरे घोचूओ तुम लोगो से पीछे नहीं बल्कि पूरी जिंदगी पीछे रहोगे यह तुम्हारी होशियारी नहीं यह तुम्हारा आलस है जो तुम्हे और निकम्मा कर रहा है।जब तक आलस को छोड़ोगे नहीं तब तक तुम्हे नाही चेन से जीने देगा नहीं चेन से मरने देगा इसी लिए छोड़ दो आलस को।
एक कहानी है जो आलस की वजह से जिंदगी से हात धोना पड़ा।एक इंसान था जो गांव में रहता था गांव में उसका बड़ा घर था वो घर का बड़ा हि रहीस था पर उसको कोई भी काम हो उसे करने का उसको आलस आता था। बढ़ाई आलसी था एक दिन अचानक उसकी तभ्भेत बिगाड़ ज्याती है और वो अपने बीमारी का इलाज करने नहीं जाता था क्यों कि उसको आलस आता था।
एक दिन बहुत ही तेज बुखार आता है तो वो अपने बुखार की और ध्यान ही नहीं देता एसे ही 2/4 दिन होने के बाद भुखार ज्यादा होता है तो वो एक साधु के पास जाता है पहले गांव में साधु ही रहते थे डॉ.शहर में थे तो वो इंसान साधु के पास गया और साधु को बताया कि ऐसा/ऐसा है तो साधुने कहा कि यह पेड़ की पत्ती देदा हू इसका पानी बना के शाम को पी लेना।
तो वो इंसान आलसी था उसे ध्यान में नहीं रहा की पत्ती का रस निकाल के पीना है तो वो पत्ती का रस निकाल नहीं पीता और शाम को उसकी ज्यादा बीमार होने के कारण उसकी मौत हो जाती है।
इसी लिए कहता हूं जो काम करना है उसे उसी समय खत्म करो नहीं तो आपका आलस ही आपके ज्यान का खतरा बन जाएगा।इसी लिए खुद ही तय करो आलस छोड़ोगे या जिंदगी!
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॥ धैर्य रखो! जिंदगी जीतो गए ॥
लोग असफलता होने का कारण यह है कि लोग काम तो शुरू करते है पर उनके पास धैर्य नहीं है उनको आज के आज ही सफल होना है।अगर दो दिन में रिजल्ट नहीं आए तो उस काम को छोड़ देते है और दूसरे काम को पकड़ लेते है और वो भी काम पूरा ना हुआ तो उसे भी छोड़ देते है।जो लोग ऐसा करते है उन लोगो की जिंदगी ऐसी ही कट जाती है ऐसी भी कोई जिंदगी है क्या ऐसी जिंदगी होना तो इंसान कितना भी उछले वो कभी सफल नहीं होगा।
अरे सफल होना ही है तो हर चीज मिलने का एक समय होता वो समय सिर्फ धैर्य रखने से आता है कोई भी सफलता आसानी से नहीं मिलती उसके लिए सही समय का इंतजार करना पड़ता है वो इंतजार इंसान का धैर्य होता है।
एक कहानी है दो भिखारियो की जो मंदिर के बाहर भीख मांगते थे दोनों ही अच्छे दोस्त बन गए दोनों ही एक दूसरे से अच्छे से बात करने लगे दोनों ही मिल जुल कर रहने लगे।एक दिन एक भिखारी को ज्यादा भीख मिली और दूसरे भिखारी को कम मिल तो वहीं उन दिनों का झगड़ा हुआ दोनो ने एक दूसरे से बात करना बंद किया दोनों एक दूसरे से जलने लगे।अगले दिन उसी ज्यादा भीख मिलने वाले भिखारी को भीख मिलती है
तो दूसरा भिखारी भगवान कहता है कि मेरी क्या गलती है मुझे ही क्यों कम मिल रहा है ऐसा कहने के बाद शांत होता है और अपने काम में लगता है तभी एक गड्डी शोरूम का मालिक मंदिर आता है और भगवान के दर्शन करता।दर्शन होने के बाद निकले जाता है तभी उसकी गड्डी बंद पड़ जाती है लाख कोशिश करने के बाद भी शुरू नहीं होती तभी कम भीख मिलनेवाला भिखारी आता है और गड्डी को शुरू करता है।
वो देखकर गड्डी का मालिक खुश होता है और उसे अपने साथ ले जाता है और अपने गड्डी के शोरूम में काम देता है। धीरे/ धीरे काम करने के बाद खुद का शोरूम ओपन करता है और उस शोरूम का मालिक बनता है। अगर आज उस भिखारी ने धैर्य ना रखा होता तो वो भिखारी इतने बड़े शोरूम का मालिक कभी नहीं बनता।इसी लिए कहता हूं कुछ भी हो जाए पर धैर्य को छोड़ना मत धैर्य रखना यह जिंदगी है यह कुछ भी हो सकता है!
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