ख़ुद के। साथ मजाक मत करना!
जो है उसमें ही निभाना सिख जो नहीं है उसे कमाना सिख जो लोगो के पास नहीं है उसे पाने की कोशिश कर पर कभी एक गलती मत करना खुद के साथ मजाक मत करना।लोग ज्यादा तर जिंदगी में कहते है मुझे यह करना है मुझे वो करना है,पैसा आजाने के बाद यह करूंगा वो करूंगा,यह काम शुरू करना है सिर्फ ऐसा सोचते हैं।सिर्फ खुद के साथ मजाक करते हैं जिंदगी आगे बड़ती जाती हैं और वह सपने ही देखता रह जाता है।
एक छोटी सी कहानी सुनाता ही खुद के साथ किया गए मजाक कितना भुरी पड़ता जिंदगी को कितना तहस नहस कर जाता।एक चतुर्वेदी नाम का लड़का जो (७ कक्षा) में पड़ता वो हर वक्त पढ़ाई को लेकर मजाक करता उसको लगता था मुझे सब आता है तो इस कारण वो पढ़ाई में कभी ध्यान ही नहीं देता था।
उसने खुद की पढ़ाई को मजाक समझ कर था जैसे जैसे पढ़ाई का समय नज़दीक आ रहा था वैसे वैसे चतुर्वेदी खुद के साथ मजाक करता था।स्कूल का लास्ट ही चल रहा था तभी exam की बारी उस exam में जिंदगी ने चतुर्वेदी के साथ ऐसा मजाक किया कि चतुर्वेदी को exam में fell होना पड़ा।
इसी लिए एक बात कहता हूं सब कुछ आ जाने के बाद भी कुछ ना कुछ करते रहना है ऐसा कभी मत कहना मुझे सब कुछ आता है तो मुझे कुछ करने की जरूरत नहीं पड़ेगी।तो आप और एक बार खुद के साथ मजाक करने के लिए तयार हो।
एक बात हमेशा ध्यान रखना जो लोग अपने success के पीछे लगे रहते हैं उने हर वो सेकेण्ड किमती होता है वो कभी भी खुद के साथ मजाक नहीं करते।जो लोग success नाहीं चाते वो हर वक्त को मजाक समज कर जिते है, अगर success चाहिए तो मज़ाक करना बंद करना होगा और serious होना शूरू करना होगा। तभी जिंदगी में बहुत कुछ करोगे।
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॥ नेगेटिवेटी दिमाग से ख़त्म ॥
इंसान आगे बढ़ने का सोचते है तो सबसे पहले माइंड के अंदर दो ही विचार आते हैं (1) पॉजिटिविटी (2) नेगेटिविटी माइंड में आती हैं यह प्रॉब्लम सब के साथ होता है।लोगो को पॉजिटिविटी से कोई प्रोब्लेम्स नहीं होता, लोगो को ज्यादा प्रोब्लेम्स नेगेटिविटी को लेकर होता है। नेगेटिविटी को ख़त्म करने का है तो आपको खुद कोही ख़त्म करना और आप खुद ही नेगेटिविटी को खत्म कर सकते हो।
तो सबसे पहले आप को यह जाना है कि हम जो कर रहे है वो काम सही है अगर आप खुद ही उस काम को लेकर पॉज़िटिव नहीं है जो काम करना है उसपर मण नहीं लगता तो फिर तुम्हारे माइंड अपने आप नेगेटिविटी आएंगी।क्यों की तुम्हारा मण ही खुद के काम को लेकर कॉन्फिडेंस में नहीं है जब खुद का ध्यान खुद के काम पर होता है तो कोई चीज़ माइंड में नहीं इंसान का माइंड होता है वो एक बार एक ही चीज़ को पकड़ लेता है।
अगर सच/मूच नेगेटिविटी को जड़ से उखाड़ ना है तो नेगेटिविटी की तरफ ध्यान ही मत दो जैसे की मान लो दो थाली है आपके सामने एक में करेली की सब्जी और दूसरे में पनीर की सब्जी तो आपका ध्यान पनीर छोड़ कर करेली की सब्जी पर थोड़ी जाएगा। वैसी ही जो काम तुम कर रहे हो उसपर ही ध्यान रखो ना पहले ही क्यों उस काम के बारे में नेगेटिव सोचना जब उस काम का अंत ही नहीं पता तो पहले ही उस काम को बुरा नहीं कहते।
पनीर की सब्जी की तरह जिंदगी में आगे बढाना जैसे अपने पनीर चूस किया था आपको पनीर के अलावा कुछ नहीं दिखाई दे रहा था वैसे ही आप हर काम को लेकर पॉज़िटिव सोचो,फिर आप के माइंड में नेगेटिविटी कभी नहीं आएगी।
इंसान खुद ही अपने माइंड में पहले कचरा भर देता है और फिर कहता है में यह काम करने जाता हूं तो वो काम करने के लिए पहले ही मेरा मन नहीं मानता कैसे मानेगा पहले ही अपने माइंड को कह दिया है। कि यह काम नहीं करना है तो कैसे मानेगा मण इंसान ही खुद ही नेगेटिविटी पैदा करता है।इस को ख़त्म करने का एक तरीका वो है जो करना है उसके बारे में सोचो जो चल रहा है उसे चलने दो और केह दो दिल और दिमाग़ को एक ही रास्ते पर चलना है,जब दिल और दिमाग़ एक तरफ तो कोई चांस ही नहीं दूसरी तरफ जाने का!
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