अंधविश्वास से हमेशा दूर।
जो लोग अन्धविश्वास पर विश्वास करते है वो अलग ही दुनिया जीते है उनका अपने काम पर ध्यान ही नहीं रहता।अगर आपको अन्धविश्वास से बाहर निकल है या अन्धविश्वास के चंगुल में फसना नहीं है तो यह बात का ध्यान रखना।
अन्धविश्वास हमेशा इंसान का नुकसान करता है अन्धविश्वास के जाल में एक बार फसो गए तो सारी जिंदगी चली जाएगी निकाल नहीं पाओगे इसी लिए जो काम करना है उसे करो काम करने से कोई मरता नहीं जब इंसान का जन्म ही हुआ तो मरना ही अभी से मरते मरते करोगे तो सारी जिंदगी पीछे ही रहो गए दुनिया आगे ही बड़ती रहेगी।
एक कहानी सुनता हूं अन्धविश्वास के चक्कर में उसके करिअर का नुकसान हो गए। गांव में एक इंसान था वो इंसान सच पर नहीं अन्धविश्वास पर ज्यादा भरोसा करता था, एक दिन उसे एक कंपनी से इंटरव्यू के लिए कॉल आए तो उसे अगले दिन सुबह 8बजे निकल ना था और गांव से शहर का रास्ता 2 घंटे का था उसकी ट्रेन का टाइम 10बजे का था।
वो सुबह गांव से अपनी बाइक से 8बजे निकल गए आधे रास्ते में उसका रास्ता एक ही बिल्ली ने काटा तो वो रुक गए। इधर उधर देखने लगा कि कोई बाइक आएगी यह से जाएगी फिर में जाऊंगा, वहां से एक भी बाइक नहीं जाती है वो इंसान इंतजार ही करता रहता है।
उसके इंतजार करते करते वहीं 10 बज जाते है वहां ट्रेन निकल जाती है और वो इंसान आधे रास्ते में से घर वापस आता है।उस बिल्ली के रास्ता काटने से वो इंसान अपने इंटरव्यू में नहीं पोछ पाता और उसके करिअर का नुकसान हो जाता है।अगर उस इंसान ने अन्धविश्वास पर विश्वास नहीं किया होता तो वो आज नौकरी कर रहा होता।इसी लिए कहता हूं अन्धविश्वास से बचो इसे कभी भी अपने पास मत आने देना!
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॥ असंभव कुछ भी नहीं ॥
एक बात त का हमेशा ध्यान रखना लाईफ मे कोई भी चीज को पाना असंभव नाही है दुनिया मे ऐसी कोई भी चीज नही हैं जो ना मिल सके सब कुछ मिल सकता सब कुछ संभव है।सिर्फ एक बात करनी जो काम कर रहे हो ऊस छोडना नाही है जब तक तुम्हे तुम्हारी मंजिल नाही मिल जाती।जो काम हाथ मे लिया है उसे इतना मन लगाकर करो की सला तुम्हे पता ही नहीं चलना चाहिए की दुनिया में लोग जिंदा है या मर गए।
सिर्फ अपने काम पे फोकस करो दुनिया में ऐसी कोंसी भी डीशनरी नहीं है उस्मे असंभव नाम का शब्द हो ऐसा कोई भी काम नहीं जो असंभव हो। सिर्फ खुद मे वो आग होंनी चाहिए वो जूनून होना चाहिए फिर नाहीं कोई काम असंभव है नाहीं कोई मंजिल मुश्किल है।
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एक कहानी सूनाता हू इसे सुंतेही कोई भी काम असंभव नाही लगेगा। यह कहानी हे मिल्खा का सिंग की जो गरीब घर में पेदा हुवा था उसके घर मे नाही रोटी मिलती थी नाहीं सुकून मिल ता था।यह कहानी शुरू होती है (20 नोव्हेंबर1929 गोवीन्दापुर, पंजाब) मिल्खा सिंग ने अपने 400M दौड़ की शुरुवात 1960 मे शुरु की थी मिल्खा सिंग के पहली 400M दौड़ का समय 47.59 सेकंद था।
उसे विश्व रेकॉर्ड जितना था उसे सिर्फ अपना गोल अपना करिअर दीख रहा था उसका ध्यान अपने विश्व रेकॉर्ड पर था।उसने उसे पाने के लिए दीन/रात एक कर दी उसका कोच भी उसे इतना ट्रेन करता था की मिल्खा सिंग थकने के बाद भी कहता था मिल्खा एक और चक्कर मार तभी गोल्ड मेडल हासिल कर पाएगा। उस के मुसे खून निकल रहा था फिर भी उसने अपना गोल नाही छोडा करता ही गए करता ही गए।
और आज उसने अपने मेहनत के भरोसे 400M दौड़ को (45.73 सेकंड) में पूरा किया और नेशनल रिकॉर्ड में अपना नाम लिखा दिया।दुनिया में किसी भी कोने में दौड़ का नाम लिया जाता है तो सबसे आगे मिल्खा सिंग का नाम आता है।
इसी लिए कहता हूं कोई भी काम असंभव नहीं है सिर्फ खुद पर विश्वास, सच्ची मेहनत, अपने गोल पर ध्यान हो तो कोई भी काम मुश्किल नहीं और कोई भी काम असंभव नहीं!
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