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लालच बुरी बला है।

(Ladies and gentleman) एक बात कहता हूं इसे ध्यान से सुना और ध्यान से समझ ना क्यों की यह बात इंसान को बड़ा भी बनाती हैं और छोटा भी बना देती हैं। वो बात है लालच, लालच करो ऐसा नहीं कि लालच नही होनी चाहिए लालच होनी चाहिए सिर्फ और सिर्फ अपने काम की अपने काम को लेकर एक जोश होना चाहिए तभी आपका जोश और आपकी लालच आपको आपके मुकाम तक पहुंचा देगी।  

लालच ना हर इंसान के अंदर होती हैं चाए वो छोटा हो या बड़ा हो सब के अंदर होती हैं सिर्फ फर्क इस बात का होता है कि कुछ इंसान जितना मिलता है उसमें खुश हो कर आगे बढ़ते हैं और कुछ लोग ज्यादा मिले उसके चक्कर में जो मिल रहा था उसे भी छोड़ देते हैं और जहां थे वहीं रह जाते। बाद में कहते हैं कि समय ने साथ नहीं दी समय ही खराब चल रहा था ऐसा कहते हैं, जब साला मिल रहा था तो लालच की थी अब सब कुछ निकल गया तो समय को दोष दे रहा है।

लालच का एक उदहारण कहता हूं। मान लो की तुम्हारे सामने भोजन की प्लेट रखी है उस प्लेट में तुम्हारे मन पसंद का सब कुछ रखा है। तो तुम कितना खाओ गए तुम्हारा पेट ले सकता है उतना ही खा सको गए बराबर है क्या उसे ज्यादा खाओ गए, उतना ही खाओ गए  जितना पेट रख सकता है।क्यों की सब कुछ मन पसंद का है करके पेट के उप्पर का खाओ गए तो जो पेट में गया सब कुछ बाहर आ जाएगा, जो मिल सकता था वो भी नही मिलेगा। 

वैसे ही लाईफ में लालच का उदहारण है जितना मिल रहा है उतना ही लो और जितना रख सकते हो उतना ही रखो गए तो खुद को ही आगे बढ़ते समय रुकावट पैदा कर सकती हैं बाद में सब कुछ अपने पास हो के कुछ फ़ायदा नहीं है। इसी लिए कहता हूं कि लालच ज्यादा ना करो अगर लालच करनी है तो अपने काम की करो क्यों की काम की लालच हमेशा सफ़लता के करीब ले जाती हैं।

यह writing speech से सीख मिलती हैं की जो समय दे रहा है या समय पर मिल रहा है उसे अपना बना के आगे बढ़ो! 

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॥ इमानदारी जरुरी है ॥


          दोस्तों " लाईफ में पैसा ही सबसे important नहीं है पैसा ही सब कुछ नही होता पैसो से बडकर और भी कही चीजे है दुनिया में इस लिए  कहता हूं अमीर बनो या ना बनो पर इमानदार जरूर बनो। ताकि खुद की ईमानदारी पैसे से कही गुना अधिक होनी चाहिए यह बात कभी मत भूलना आपकी ईमानदारी ही आपके अमीर बने का श्रेय है। इस लिए आपकी ईमानदारी एसे बरक़रार रखना की साला कभी उसपर झुटी चीज़ का डाग नहीं लगना चाहिए क्यों एक बार झूठ का डाग लग गया तो उसे निकलना बहुत ही मुश्किल होता है।

इसी लिए कोई भी काम करते समय या कोई भी काम हो उस काम को पूरी निष्ठा से पूरी ईमानदारी से करना क्यों की काम करने के दो तरीके होते हैं। 1) काम करना. 2) मन लगाकर काम करना, जब तक आप काम को काम समझ कर रहे हैं तो आप कभी आगे नहीं बढ़ सकते। जिस दिन काम को मन लगाकर काम करेंगे तब आप लोगो से बहुत आगे जा चुके होंगे, इसी लिए कोई भी काम हो निष्ठा और ईमानदारी से करो वरना ना करो तभी हर काम में आगे बढ़ो गए।
                                😊😊😊

एक कहानी सुनाता हूं नौशाद संगीतकार की जो महान संगीतकार थे अब इस दुनिया में नहीं है दुनिया को और लोगो को छोड़कर चले गए हैं। में उन नौशाद संगीतकार से बहुत ही inspire हूं नौशाद संगीतकार की पाच उंगलियां जली हुई थी नौशाद संगीतकार को सिगार का बड़ा ही शोक हुवा करता था। एक दिन सिगार पी रहे थे सिगार से कश मार रहे थे नौशाद संगीतकार को पता ही नहीं सिगार जल रहा है।

जलते - जलते कब ख़त्म हो जाता है पता ही नहीं चलता सिगार उनकी हाथ की पाच उंगलियां जला रहा है उन मालूम भी नही नौशाद संगीतकार का ध्यान पूरी की पूरी खोपड़ी गाना बनाने में लगी उस का  ध्यान अपने गाने पर था कब साला तयार होगा कब फिल्म में लगेगा और कब हमारा नाम होगा नौशाद संगीतकार अपने काम को निष्ठा से और पूरी ईमानदारी से कर रहा था।

जो इंसान अपने काम में डूब गया है उसको पता ही नहीं की हमारा हाथ जल गया है वो इंसान अपने काम के वास्ते पागल नही है तो क्या है। जब साला अपने काम के वास्ते पागल हो जाओ गए तब साला ख़ुद पता भी नही चलेगा काम के चक्कर में शरीर जल गया है इतना अपने काम में  डूब जाओ और इतना अपने काम को ईमानदारी से करो जब ईमानदारी से काम करने लगो गए तो हर बार ख़ुद को लोगो से आगे देखो गए!
                                  
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