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संगत का असर!


                      दोस्तो"आप को आगे बढ़ना है तो अच्छी संगत का हो जरूरी है संगत ही आपको सफल बना देगी अगर आपको अच्छी संगत नहीं मिल रही तो अकेले रहो जरूरी नहीं कि, लोग ही हो आपके साथ अकेले भी हासिल कर सकते हो जिस को पाने की इच्छा है।अगर अकेले चलने से कोई रास्ता नहीं दिख रहा ना तो उन लोगो को पकड़ो जो सफल है उन लोगो की भीड़ में चले जाओ आपको धक्के मार मार कर सफल बना देंगे।

लाईफ में उन लोगो के साथ मत रहना जो तुम से छोटे हो वो तुम्हे कभी आगे बड़ने नहीं देंगे सिर्फ तुम्हारा इस्तमाल कर लेंगे तुम्हे यही लगता रहेगा में इन लोगो से बड़ा हू और यह लोग मुझसे छोटे अगर यही तुम्हारी सोच होना तो कभी सफल नहीं बनोगे जाह थे वहीं रहोगे।अगर सच में सफल बना है तो कबूतरों का साथ छोड़ दो और बाज को पकड़ लो वो तुम्हे सफल बना देगा तुम्हे पता भी नहीं चलेगा कि तुम सफल बन गए हो।यह है संगत का असर और संगत की पहचान।

लाईफ में ज्यादा तर उन लोगों के साथ रहना वो तुमसे अधिक बुद्धिमान और तुम उनके सामने ज़ीरो हो तभी और मजा आएगा आगे बड़ने में खुद को शर्म आए गई तो चलेगा पर बना है तो इनके जैसा ही वहीं तुम्हे सीखा देंगे आगे बड़ के इज्जत और पैसा कैसे कमाते है।

एक छोटी सी कहानी है उसे पड़ कर सब कुछ सिख जाओगे, गाव का एक गरीब बच्चा उसके पास खाने के लिए कुछ भी नहीं था।वो बच्चा अपना पेट भरने के लिए भंगार का काम करता था भंगार उठाते उठाते एक शिक्षा विद्यालय के पास पहुंच गया वह विद्यायल के बच्चे खेल रहे थे वो भी वह जाकर खेलने लगा एक शिक्षक ने उसको पूछा कि, बेटा तुम कोन हो कहा से आए हो। 

वो बच्चा कहता है मेरा इस दुनिया में कोई नहीं में इन बच्चो को खेलते देखकर यह खेलने के लिए आए था तभी शिक्षक कहता है तुम्हे पड़ने की इच्छा है।तुम भी इन बच्चो की तरह खेलना चाते हो तो वो बच्चा कहता है मुझे भी पड़ना है इनकी तरह मुझे भी बना है  ऐसा कहते ही उस शिक्षक ने उसका एडमिशन कर दिया।और वो बच्चा उन लडको के साथ खेल कूद के और पढ़ाई कर के एक कम्पनी का मालिक बनता है।

जब अच्छे लोग अच्छी संगत मिलती ना तो हर इंसान आग की लेहेक मे से लावा बनकर बाहर जरूर निकलता है। 

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॥ अपने मन की सुनो ॥


                      एक बात कहता हूं लोग तुम्हे कुछ भी कहे कुछ भी करने के लिए कहे उनकी ओर ध्यान मत देना तुम्हे जो अच्छा लगता है वो करना जिसे तुम्हे खुसी मिलती हो जिसमें तुम अच्छे हो वो काम करना। सिर्फ अपने मन की सुनना और वहीं करना जो तुम्हे आगे ले जाएगा।हम जब अपने मन का काम करते है तो पूरी जी जान लगाकर करते है और अपने मन का नहीं हुआ तो उसको उसिके हाल पर छोड़ देते है उसकी ओर ध्यान भी नहीं देते।इंसान जब अपने मन का काम करता है तो वो काम पूरा हो यह ना हो उस काम से खुशी जरूर मिलती है।

जो इंसान अपने मण की नहीं सुनता सिर्फ लोगो के पीछे बावरा हो के लोगो की सुनता हो वो इंसान कभी आगे नहीं बढेगा उसे लोग बर्बाद कर देंगे जो इंसान अपने मन की सुनता है वो कभी बर्बाद नहीं होगा।जब तुम्हारा मण खुद तुम्हे कह रहा है कि जो तुम कर रहे हो वो काम सही है तो साला दुनिया तुम्हारे एक तरफ हो जाए तो चलेगा तुम सिर्फ अपने मण की सुनना बस लोगों को जो कहना है वो कहने देना लोग सिर्फ बुरा देखते है किसि का अच्छा नहीं।

एक छोटी सी कहानी है एक बाज की इसे सुने के बाद तुम भी अपने मन की सुनो गए।एक बड़ा सा जंगल था उस जंगल में एक इंसान रहता था उस इंसान को पक्षी पकड़ने का बड़ा ही लगाव था वो रोज अलग अलग पक्षी पकड़कर लाता था और अपने पिंजरे में रखता था।एक दिन उसने पक्षियों के साथ साथ बाज का अंडा लाया और उस पक्षियों के अंडो के साथ रख दिया।

कुछ दिन हो जाने के बाद बाज का अंडा टूटा और उसके अंदर से बाज का बच्चा बाहर आए और बाकी के बच्चो के साथ खेलने लगा।कुछ दिन गुजर गए और बाज का बच्चा बड़ा हुआ उसके साथ साथ बाकी बच्चे भी बड़े हुए और एक दिन बाज का बच्चा बाकी बच्चो से कहता है यहां केहद रहने से अच्छा मार जाना बेहतर है यह तो उड़ कर अपनी जिंदगी की नहीं शुरवात करनी चाहिए।

तो वो बाज मारने का रास्ता नहीं चुनता और वो जिनका रास्ता तय करता है और अपने मण की सुनकर उड़ जाता है और बाकी पक्षी वहीं उस पिंजरे में अपनी जिंदगी गुजार रहे है।अगर बाज अपने मण का नहीं सुनता तो दुनिया का सबसे ऊंचा उड़ने वाला और पूरे आसमान कि सेर करने वाला पक्षी नहीं कहलाता।और आजाद नहीं उड़ता बाकी पक्षियों कि तरह वो भी पिजरे में बंद रहता था। 

इसी लिए कहता हूं बाज की तरह अपने मण की सुनना तभी आसमान की सेर कर पाओगे नहीं तो सारी जिंदगी केहद ही रहना पड़ेगा!  

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