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सुधर गई गलती।

       
          ...दोस्तों" लाईफ में एक गलती बहुत ही भारी पड़ सकती हैं वो एक गलती आपकी जिंदगी भी जीना मुश्किल कर सकती है। इसी लिए लाईफ में कोई भी काम करते समय पूरे के पूरे फोकस के साथ करो काम करते समय अपना माइंड सिर्फ़ और सिर्फ उस काम के ऊपर लगाओ। बहुत से लोगों का ध्यान अपना काम छोड़कर कहीं और होता है अपना दिमाग कही और ही खर्च करते हैं ज्या लगाना है वहां लगते नहीं बाद में गलती कर बैठते हैं। और

वहीं एक गलती जिंदगी से नाता जोड़ लेती है और सारी लाईफ उसी एक गलती के पीछे भागना पड़ता है। जब वहीं एक गलती दूसरे काम में बाधा बनकर तैयार खड़ी रहती हैं तो हम खुद से खुद कहते है हमने कब गलती की है ऐसा बहुत से लोगों का कहना होता है। जैसे जैसे वो एक गलती हर वक़्त हर पल बाधा डालती है तब उस घोचु पता चला है कि हमें उस समय और उस टाईम पर गलती की थी इसी लिए उस एक गलती की सजा आज इस टाईम पर मिल रही हैं।

बहुत से लोगों का एक ही चक्कर होता है गलती तो करते हैं पर उस गलती को टालकर आगे बढ़ जाते है और आने वाले समय में वहीं गलती सुनामी बनकर तैयार होती बर्बाद करने के लिए। तकदीर खेल ही ऐसा है जो गलती करता है उसे आज नहीं तो कल भरना ही पड़ता है।

इसी लिए फिर से एक बात कहता हूं जान बुज कर गलती मत करना और अगर गलती हो भी गई चाए वो गलती कोनसी भी हो तो उस गलती को वहीं उसी वक़्त पर सुधारो वहीं पता करो कि गलत किस में है और कहा गलती करने जहा रहे थे। जो इंसान गलती करके उस गलती को सुधारकर एज बढ़ता है वहीं इंसान लाईफ में आगे बढ़ता है। और सबसे बेहतरीन बात यह है जो गलती करके भी उस गलती से कुछ सीखता है वो इंसान इंसान होता है।

इसी लिए लाईफ में खुद को भी मौका मत दो गलती करने का क्यों की क्या पता वो एक गलती आपका इतिहास बने से पहले ही ख़त्म कर दे। इसी लिए गलती ना करे और गलती हो भी गई तो उसे सुधारे!!
                               
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॥ अंधा बनकर चलने का नुकसान ॥



 एक बात कहना चाहता हूं तो इस बात को ध्यान से सुना और अपने जीवन में उतार लेना तो बात यह है कि लाईफ अंधे हो कर या अंधे बनकर जीना मत। आज तक अंधे की पट्टी आंख पर लगाकर चल रहे थे अब उतार दो उस पट्टी को कब तक पट्टी के पीछे बंद जिंदगी काटो गए एक बार अपनी पट्टी उतार के देखो। कि जिंदगी कितनी रंगीन है जिंदगी का मजा अंधे की पट्टी बांध नहीं आता जिंदगी का मजा आता है आजाद हो कर आजाद रहकर आता है।

 जो लोग ना लाईफ में अंधे बनकर जीना पसंद करते है वो लोग खुद की जिंदगी का कचरा कर बैठते हैं और उनके लाईफ में कोई मक़सद नहीं रहता जीने का। अंधे बनकर जीने वाले लोग किसी के लिए भी काम करते किसी के भी पीछे भागने लगते जैसे कि एक तरह की चलती- फिरती कतपुटलिया बन जाती है। उन लोगो को कुछ दिखाई नहीं देता क्या सही और क्या गलत एसे लोगो का, चतुर लोग फायदा उठा लेते है।

जो लोग अंधे बनकर जीते हैं वो लोग हर बात को हर चीज को (इग्नोर) मारते है जो हो रहा है उसे होने देते है चाए वो ग़लत क्यों ना हो। पर उस को यह नहीं पता कि आज बाकी के लोगो के साथ हुआ कल मेरे भी साथ हो सकता है आज वो लोग फस गए कल में भी फस सकता हूं। उल्टा ऐसा कहते हैं मेरे साथ थोड़ी हुआ है उसके साथ हुआ है में क्यों जाऊ बचाने ऐसा सोचते हैं एसे है कुछ कुछ लोगो की सोच।

और कुछ लोग साला इतने नालायक होते हैं कि उनको दिख रहा है अंधे बनकर जीना कितना बर्बादी वाला काम है फिर भी लोग अंधे के पीछे सच में अंधे बनकर चले जाते है।इसी लिए आज से अंधे बनकर चल रहे थे उस पट्टी को जल्द से जल्द हटा दो नहीं तो यह समाज यह दुनिया कभी आपको चैन से जीने नहीं देंगी। 

इसी लिए अंधे बनकर जीना मत क्यों अंधे बनकर जीना है साला अपनी दुनिया, अपना वक़्त, अपने करिअर, अपने सपने, अपना काम सब कुछ साला अपना है तो क्यों उस रास्ते पे जाना जहां हर जगह अंधेरा ही अंधेरा है। सब कुछ अपने हाथ में तो क्यों अपनी डोर दूसरो के हात में दे आज से खुद जीता जागता शेर बनकर जीना नहीं अंधे बनकर तुम चलो गए शेर बनकर तो अंधा भी देखने लग। ध्यान में रखना इस बात को!👈

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