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खुद में discipline होने का महत्व।


 Life में आगे बढाना है। तो सबसे पहले खुद में discipline होना जरूरी है। खुद में discipline रखो तभी आगे बढ़ पाओ गए।

           (My dear friends) Laif में आगे बढ़ना है तो एक चीज़ का होना बहुत ही जरूरी होता है वो Discipline है। लाईफ में खुद अंदर Discipline नहीं अनुशासन नही तो आप अपने लक्ष्य की तरफ़ स्टेप बाई स्टेप आगे बड़ ही नहीं सकते अपने आप को parfect बना ही नहीं सकते। अगर इंसान के अंदर Discipline , अनुशासन हो तो उस इंसान को किसी की भी जरूरत नहीं होती वो इंसान अपने खुद के भरोसे अपना लक्ष्य हासिल कर सकता है। इंसान के अंदर Discipline होना मतलब सफलता का आधा हिस्सा होने जितना बराबर होता है।

जैसे जिंदा रहने के लिए पानी का होना और खाने का होना जरूरी है वैसे ही सफ़लता को अपना बनाने के लिए Discipline का होना जरूरी होता है। आज के समय में लोग खुद से ही छुट बोल रहे हैं , खुद को ही धोके में रख रहे हैं आज काम करने का वादा किया था खुद से पर आज का काम कल करते हैं। आज खुद से वादा करते हैं कल में सुबह 5 बजे उठूंगा , सुबह के 5 बजने को आते हैं आलम जोर जोर से चिकनी लगता है 5 बजे उठजा तो वो भाईसाब खुद से कहते हैं में कल देर से सोया था इंसान को 8 घंटे की नीद की जरूरत है ऐसा खुद से सवाल करके सो जाता है और उस भाईसाब की सुबह 8 बजे होती हैं।

एक छोटा सा वादा की था खुद को वो पूरा कर नहीं पाए और कहते हो बड़ा इंसान बना है अबे सालो जब करने का नही सुबह उठने का नही तो खुद से झूठ मूठ का वादा क्यों करते हो खुद के साथ झूठ क्यों बोलते हो सीधा सीधा कहते क्यों नहीं खुद से मेरी सोच छोटी है और में कोई भी काम करने के लायक नहीं हू। ऐसा बोलो खुद को जब छोटा सा वादा पूरा नहीं हो पाया तो कब मरते दम तक Discipline का पालन करो गए।

discipline 

अगर सच मूछ चाहते हो खुद की जिंदगी बदले बड़े बड़े लोगो की तरह हम भी बने , बड़े बड़े लोगो की तरह बड़े बड़े डिसीजन ले , उन बड़े बड़े लोगो की तरह उठना बैठना चाहिए तो Discipline का पालन आज से ही शुरू कर दो। समय का समय पर करो , कल के काम के बारे में आज ही सोच लो , वक्त का काम वक्त आने से पहले ही खत्म करने के कोशिश करो और वक्त का सही इस्तेमाल सही काम में करो। कोई भी काम करने से पहले उसके बारे में जान लो बाद में करो और सबसे महत्वपूर्ण बात।

सुबह जल्दी उठो खुद के साथ बहाने बनाना बंद करो और 8घंटे नीद की आदत छोड़ दो ऐसा इतिहास के कोई भी पन्ने में नही लिखा है कि इंसान को 8घंटे की नीद चाहिए। इंसान को 4घंटे की नीद काफ़ी होती है चाहे तो , नही तो पूरा का पूरा दिन भी दिया ना इंसान को कम ही होता है इसी लिए अपने आप को Discipline में रहकर जल्दी उठो क्यों की मैं चाहता हूं की आपके दिन की शुरुवात अच्छी हो और लोग जागने से पहले आप का काम खत्म हो।

एक example ( उदाहरण ) देता हूं जब तक आपके हाथ में पतंग की डोर होती हैं तब तक पतंग Discipline में रहती हैं। जैसे ही पतंग की डोर आपके हाथ से छुट गई वो सच मूछ हवा में उड़ने वाली पतंग हो जाती है मतलब Discipline के बाहर चली जाती हैं और इधर उधर किसी भी रास्ते चली जाती हैं। वैसे ही हमारे जिंदगी का है Discipline नही तो हम भी किसी भी रास्ते पर भटक सकते हैं और अपने सफ़लता के दूर चले जाते है।

अगर Discipline में चले तो जहां जाना है वहां ही चले जाएंगे किसी दूसरे रास्ते पर जाने का कोई चांस ही नहीं। इस लिए कहता हूं लाईफ में Discipline ( अनुशासन ) को होना बहुत ही जरूरी है।

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॥ अपने आप से कैसे जीते ॥

जिंदगी की पहली जंग खुद के साथ होनी चाहिए। क्योंकि खुद के साथ की हुई पहली जंग आने वाले समय के लिए मजबूत बनाती हैं।

( Ladies and gentlemen ) जिंदगी की पहली लड़ाई खुद के साथ होनी चाहिए सबसे पहले खुद को इतना मजबूत बनाओ इतना बेहतर बनाओ अपने आपको की जिंदगी में कितनी भी मुश्किलें आए , कितनी भी चुनौतियां आए उसका डट कर सामना कर सको। जो इंसान अपना करिअर बनाने के लिए परिथितियों से लड़ता है , बहुत ही बुरे हालातो से गुजरता है , दुःख दर्द सहता है , पर अपना करिअर नही छोड़ता वो इंसान जिंदगी की कोई भी लड़ाई हो उसे अंजाम जरूर देता है।

जिंदगी की लढाई।

एक बच्चे की कहानी जो 12 साल की उम्र का था 6 वी कक्षा में पढ़ता , पढ़ाई में कच्चा और sports में सबसे तेज़ उसका सपना बस एक ही था सबसे महान हॉकी player बने का था। तभी अचानक पिता की मौत हो जाती है घर का पूरा का पूरा टेंशन उस बच्चे पर आता है 12 साल का बच्चा अपनी परिस्थितियों से लड़ता हुआ दुःख दर्द सहता हुआ अपनी घर की परिस्थिति को दूर करने के लिए। रोज सुबह पेपर बाटता था , पेपर बाटने के बाद स्कूल जाता था , स्कूल से आते ही अपनी हॉकी के मैदान में जाता था।

जिस समय उस बच्चे के हाथ में खिलौने , किताबे , दोस्ती के साथ खेलना कूदना था उस समय बच्चे के सरपर परिस्थितियों का बोझ दे दिया वो परिस्थितियों से लड़ता गए और आगे बढ़ता गए। एसे ही उस बच्चे के जिंदगी से लड़ते लड़ते 10- 15साल बीत गए और उन 10 -15 सालो में वो बच्चा हॉकी का इतना जबरदस्त खिलाड़ी बन गए। और

 वो बच्चा दूसरा कोई नहीं बल्कि ओलंपिक गोल्ड मेडल्स जितने वाले मेजर ध्यानचंद थे इसी लिए लोग उसे मेजर ध्यानचंद के नाम से और हॉकी के जादूगर के नाम से जाने लगे। मेजर ध्यानचंद ने अपनी जिंदगी की पहली लड़ाई  खुद के साथ लड़ी मेजर ध्यानचंद ने अपने आप को इतना जोशीला बनाए , इतना बुलंद बनाए की करिअर की लड़ाई में सबसे तेज़ और होनहार हो गए थे। इसी लिए मेजर ध्यानचंद ने अपने नाम का इतिहास रचा दिया।

इसी लिए कहता हूं कि जिंदगी की पहली लड़ाई खुद के साथ होनी चाहिए क्यों की जिंदगी की पहली लड़ाई खुद को यह कहती है आज परिस्थितियों से लड़कर मजबूत बन , कल यही मजबूती सफल बनाएगी। 

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